Ab Uski Yaad Raat Din - अब उसकी याद रात दिन अहमद फ़राज़ की मशहूर शायरी - Ahmad Faraz Ishq Shayari भले दिनों की बात थी भली सी एक शक्ल थी ना ये कि हुस्ने ताम हो ना देखने में आम सी ना ये कि वो चले तो कहकशां सी रहगुजर लगे मगर वो साथ हो तो फिर भला भला सफ़र लगे कोई भी रुत हो उसकी छब फ़जा का रंग रूप थी वो गर्मियों की छांव थी वो सर्दियों की धूप थी ना मुद्दतों जुदा रहे ना साथ सुबहो शाम हो ना रिश्ता-ए-वफ़ा पे ज़िद ना ये कि इज्ने आम हो ना ऐसी खुश लिबासियां कि सादगी हया करे ना इतनी बेतकल्लुफ़ी की आईना हया करे ना इखतिलात में वो रम कि बदमजा हो ख्वाहिशें ना इस कदर सुपुर्दगी कि ज़िच करे नवाजिशें ना आशिकी ज़ुनून की कि ज़िन्दगी अजाब हो ना इस कदर कठोरपन कि दोस्ती खराब हो कभी तो बात भी खफ़ी कभी सुकूत भी सुखन कभी तो किश्ते ज़ाफ़रां कभी उदासियों का बन सुना है एक उम्र है मुआमलाते दिल की भी विसाले-जाँफ़िजा तो क्या फ़िराके-जाँ-गुसल की भी सो एक रोज क्या हुआ वफ़ा पे बहस छिड़ गई मैं इश्क को अमर कहूं वो मेरी ज़िद से चिढ़ गई मैं इश्क का असीर था वो इश्क को कफ़स कहे कि उम्र भर के साथ को वो बदतर अज़ हवस कहे शजर हजर नह...
|| महाभारत पर रोंगटे खड़े कर देने वाली कविता || || Mahabharata Poem On Arjuna || तलवार, धनुष और पैदल सैनिक कुरुक्षेत्र में खड़े हुए, रक्त पिपासु महारथी इक दूजे सम्मुख अड़े हुए | कई लाख सेना के सम्मुख पांडव पाँच बिचारे थे, एक तरफ थे योद्धा सब, एक तरफ समय के मारे थे | महा-समर की प्रतिक्षा में सारे ताक रहे थे जी, और पार्थ के रथ को केशव स्वयं हाँक रहे थे जी || रणभूमि के सभी नजारे देखन में कुछ खास लगे, माधव ने अर्जुन को देखा, अर्जुन उन्हें उदास लगे | कुरुक्षेत्र का महासमर एक पल में तभी सजा डाला, पांचजन्य उठा कृष्ण ने मुख से लगा बजा डाला | हुआ शंखनाद जैसे ही सब का गर्जन शुरु हुआ, रक्त बिखरना हुआ शुरु और सबका मर्दन शुरु हुआ | कहा कृष्ण ने उठ पार्थ और एक आँख को मीच जड़ा, गाण्डिव पर रख बाणों को प्रत्यंचा को खींच जड़ा | आज दिखा दे रणभूमि में योद्धा की तासीर यहाँ, इस धरती पर कोई नहीं, अर्जुन के जैसा वीर यहाँ || सुनी बात माधव की तो अर्जुन का चेहरा उतर गया, ...